۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
Dellhi

हौज़ा/हलफनामे में कहा गया है कि लोक व्यवस्था राज्य का विषय है और ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों ने जबरन धर्मांतरण पर नियंत्रण के लिए कानून पारित किए हैं.

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में दूसरे लोगों को धर्म विशेष में धर्मांतरित कराने का अधिकार शामिल नहीं हैं।
केंद्र ने यह भी कहा कि यह निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी, धोखे, जबरदस्ती या प्रलोभन के जरिए धर्मांतरित करने का अधिकार नहीं देता है केंद्र ने आगे कहा कि उसे खतरे का संज्ञान है और इस तरह की प्रथाओं पर काबू पाने वाले कानून समाज के कमज़ोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक हैं इन वर्गों में महिलाएं और आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े लोग शामिल हैं।


एक याचिका के जवाब में संक्षिप्त हलफनामे के जरिए केंद्र ने अपना रुख बताया याचिका मे धमकी एवं उपहार और मौद्रिक लाभ के जरिए छलपूर्वक धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है गृह मंत्रालय के उप सचिव के जरिए दायर हलफनामे में ज़ोर दिया गया है कि इस याचिका में मांगी गई राहत को भारत सरकार 'पूरी गंभीरता से' विचार करेगी और उसे इस 'रिट याचिका में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता का संज्ञान हैं।


न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह धर्मांतरण के खिलाफ नहीं, बल्कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ है. इसके साथ ही पीठ ने केंद्र से, राज्यों से जानकारी लेकर इस मुद्दे पर विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा. पीठ ने कहा आप संबंधित राज्यों से आवश्यक जानकारी एकत्र करने के बाद एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें हम धर्मांतरण के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हो सकता हैं।

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